Friday, May 24, 2013

पुकार

पुकार
























पुकार लो हमें की वक्त अभी गुजरा नहीं 
प्यार का आँचल हाथों से अभी छुटा नहीं 
पल-पल बिखरते इस रिश्ते की कसम 
पुकार लो हमें की साथ अभी छुटा नहीं 

थाम कर साँसों को अपनी चाँद है तड़प रहा 
चांदनी बिखर रही इक तारा कहीं है खो रहा 
वक्त की मौज पर लुट रहा सारा जहां 
मात की शह पर जा रहा क्यूँ कारवां 
आलिंगन इस दिल का क्या धड़कन से कभी होगा नहीं 
पुकार लो हमें की ...

इससे पहले की शाम ये ढल ना जाये 
पुकार लो हमें की धड़कन कहीं रुक ना जाये 
रुक ना जाएँ ये वादियाँ चाँद कहीं फिर छिप ना जाये 
सावन की उस बूंद को अब ये चातक तरसे नहीं 
पुकार लो हमें की ....

बीते लम्हों की याद में तेरे सपनों के साथ में 
बहती जाएगी जिंदगी तू हो या ना हो साथ में 
अर्थ इस सत्य का यही है, यही सत्य इस अर्थ का 
रूकती नहीं हैं राहें मंजिल मिलने की आस में 
लो...छोड़ दिया अब आँचल तुम्हारा, थाम लो खुशियाँ नयी 
पुकार लो हमें की ....

"राहुल शर्मा "

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